लम्बी जुदाई
फ़िल्म: हीरो(1980) गाएक: रेश्मा बोल: जावेद अख़्तर
बिछड़े अभी तो हम कल परसों, जीऊंगी मैं कैसे इस हाल में बरसों
मौत ना आई, तेरी याद क्यों आई, हाए लम्बी जुदाई
चार दिनां दाँ प्यार ओ रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
होंठों पे आई मेरी जान दुहाई, हाए लम्बी जुदाई
चार दिनां दाँ प्यार ओ रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
इक तो सजन मेरे पास नहीं रे, दूजी मिलन दी कोई आस नहीं रे, दूजी मिलन दी कोई आस नहीं रे
उसपे ये सावन आया...........उसपे ये सावन आया आग लगाई,
हाए लम्बी जुदाई, चार दिनां दाँ प्यार ओ रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
टूटें ज़मानें तेरे हाथ निगोड़े.....हाथ निगोड़े
जिन से दिलों के तूने शीशे तोड़े......शीशे तोड़े
हिजर की ऊँची, हिजर की ऊँची दीवार बनाई
हाए लम्बी जुदाई, चार दिनां दा प्यार ओ रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
बाग़ उजड़ गए......बाग़ उजड़ गए खिलने से पहले
पँछी बिछड़ गए मिलने से पहले, पँछी बिछड़ गए मिलने से पहले
कोयल की कू.......कोयल की कूक नें हूक उठाई
हाए लम्बी जुदाई, चार दिनां दाँ प्यार ओ रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
होंठों पे आई मेरी जान दुहाई, हाए लम्बी जुदाई
चार दिनां दाँ प्यार ओ रब्बा बड़ी लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई, लम्बी जुदाई
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